कविताएं जानती रही हैं
दुख में मेरे अस्तित्व की सम्पूर्णता
वे मेरे एकाकीपन को भंग नहीं करतीं
बस, मुझे स्पर्श करती हैं
और विदा हो जाती हैं।।
कविताएं जानती हैं मुझे
जैसे मैं पहचानती हूं उन्हें
वे भांप लेती हैं मेरी सुन्दर उदासी
और मैं भी समझ पाती हूं
इस खबरनवीस दौर में
कविताओं का अकेलापन।।